श्याम आज़ाद
दवा से दूर, दुआ से भरपूर मिलिए 106 वर्षीय कर्म योगी बाबा कांशी राम जी से जो की ऊपर शुरथांग गांव में रहते है।शुरथांग सिसु से 12किलोमीटर की दुरी पर है। कांशी राम बाबा जी एक साधारण व्यक्ति की तरह ही दिखते है उनके एक हाथ मे माला थी तथा दूसरे हाथ मे मने (प्रार्थना चक्र) धारण किया था और बोधि मंत्रों का जाप कर रहे थे।
कांशी राम जी से मिलने का मौका अटल रोहतांग सुरंग पर एक वृतचित्र बनाने का और इस वृतचित्र के लिए बुजुर्गों का सानिध्य, उनका कटु अनुभव के साथ उनके जीवन संघर्षों की व्यथा की कहानी जानने का।
कांशी राम जी ने बताया की जब लाहुल में कोई मूलभूत सुविधाएं नही थी, यह बात 1915 की है जब मेरा जन्म हुआ है और अब 106 वर्ष की आयु हो चुकी है।ईश्वर कृपा और परिवार के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे मेरे लिए बहुत अच्छी संतान है और सेवा पूजा में कोई कमी नही है।बाबाजी ने बताया कि अब आंखों में धुंधलापन छा गया है मगर शारीरिक बीमारी कुछ नही है।अपने पूर्व के जीवन को याद करते हुए एक ही झलक में उनके चेहरे से पता लगता है कि उनका जमाना कितना कठिन रहा होगा।
लगातार पैदल के रास्ते और भुजाबल तथा बोझ तले जीवन मे परिवार का पालन पोषण का इतिहास तो शायद पुराने जमाने के लोगों से और बेहतर कौन बयां कर सकता है।मैने बाबा जी से सुरंग खुलने की बात की और इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी बहुत खुशकिस्मत है।उन्होंने कहा कि हमने पैदल, घोडे खच्चर का रास्ता तथा पुराना रास्ते के साथ साथ रोहतांग होते नया रास्ता बनते देखा है।
विश्वास नही होता था कि सुरंग का सपना साकार होगा,मगर मुझे धन्यवाद करना है सुरंग वालो का कि उन्होंने सुरंग खुलते ही हम बुजुर्गों का मान रखा और इस सुरंग में हमे घुमा कर सम्मानित किया।बाबा जी ने बताया कि यह सभी लाहुल स्पिती और देश वासियों के लिए खुशी का अवसर है।
उधर उनके ज्येष्ठ पुत्र सोनम छेरिंग जी जो अठत्तर वर्ष के हो चुके हैं तथा बाल भी श्वेत हो चुके है,ऐसे में मजेदार बात यह है कि बाबा जी के बाल अभी भी काले हैं तथा श्रवण शक्ति और बोलने की क्षमता बहुत अधिक है।मंत्रोचारण तो मानो ऐसे करते है जैसे कोई युवा अवस्था का बौद्ध भिक्षु हो।सर्व मंगल की कामना हमेशा करते हुए घण्टों मंत्रोचारण उनका रोजमर्रा का कार्य है।
चार पीढ़ियों के साथ सुख की अनुभूति करने वाले बाबा कांशी राम जी को शारीरिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ हैं तथा दवा से दूर तथा दुआओं से भरपूर हैं।उन्हें मिलने तथा दर्शन करने लोग दूर दूर से आते है।मैंने अपने वृतचित्र चित्र का शुरआत इन्ही के बौद्ध मंत्रोचारण से किया है जो मुझे अनन्त आनन्द की अनुभूति करवा रहा है।