सरकार का 16वां वित्त आयोग इस बार हिमाचल प्रदेश से देश के सभी राज्यों के दौरे की शुरुआत करेगा। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही 16वें वित्त आयोग की टीम शिमला आएगी और प्रदेश के कुछ और हिस्सों का दौरा भी करेगी। केंद्र सरकार ने नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन किया है। इसमें चार अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं, जिनमें से तीन फुल टाइम मेंबर हैं। 16वें वित्त आयोग को 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को देनी हैं, जो पहली अप्रैल 2026 से सभी राज्यों पर लागू होगी।
हिमाचल के लिए 16वां वित्त आयोग का यह दौरा काफी अहम रहने वाला है। हिमाचल को केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान यानी रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट मिलती है, जो 15वें वित्त आयोग ने 37199 करोड़ दी थी। हालांकि यह अनुदान हर साल कम हो रहा है। इसीलिए 16वें वित्त आयोग के पीरियड में इस अनुदान को बचाए रखना हिमाचल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसकी एक वजह यह भी है कि राज्य ने अब एनपीएस की जगह ओल्ड पेंशन को लागू कर दिया है। नया वित्त आयोग इस फैसले को किस तरह से लेता है? यह रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट पर होने वाले फैसले में दिखेगा। क्योंकि वित्त आयोग का राज्यों का दौरा हिमाचल से शुरू हो रहा है, इसीलिए वित्तीय विशेषज्ञ इसे राज्य के लिए भी अच्छा नहीं मान रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वित्त आयोग अपने सभी तरह के फार्मूले फिर पहले राज्य में ही तलाश करने की कोशिश करता है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा खुली अर्थव्यवस्था के पक्षधर रहे हैं। हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी राज्यों को लेकर उनका रुख क्या रहेगा? इस पर भी बहुत कुछ निर्भर है। वित्त आयोग से हिमाचल सरकार को यह सूचना मिल गई है कि चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही राज्य का दौरा होगा। वित्त विभाग के अधिकारी इस दौरे को लेकर तैयारी में जुट गए हैं। हाल ही में कर्मचारियों के एरियर को लेकर जारी की गई नोटिफिकेशन भी वित्त आयोग को अपनी प्रतिबद्ध देनदारियां दिखाने का एक माध्यम था। हालांकि इसमें 0.25 फ़ीसदी के फार्मूले के विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा था।