डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में 78वां स्वतंत्रता दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल द्वारा विश्वविद्यालय के डॉ एलएस नेगी सभागार परिसर में तिरंगा फहराया गया। इस मौके पर स्विट्ज़रलैंड में सिंजेंटा कंपनी की ग्लोबल टेक्नालजी मैनेजर डॉ रेनू कपिल वशिष्ठ अतिथि रहीं। विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष, एनसीसी ऑफिसर, विश्वविद्यालय की सभी कर्मचारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
इस वर्ष विश्वविद्यालय के 123 एनसीसी कड़ेट्स और एनएसएस वॉलंटियर द्वारा परेड में हिस्सा लिया गया। विश्वविद्यालय में कार्यरत 22 सुरक्षाकर्मियों की एक टुकड़ी ने भी इस परेड में भाग लिया। मुख्य अतिथि द्वारा परेड़ का निरीक्षण किया गया और सलामी ली गई।
अपने संदेश में प्रोफेसर चंदेल ने छात्रों और संकाय को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के अथक प्रयासों को नमन किया जिनके संघर्ष और निस्वार्थ बलिदान से देश को आज़ादी मिली थी। उन्होनें कहा कि हमारा देश आज दुनिया में सबसे तेज़ी से आगे बढ्ने वाला देशों में शुमार है।
प्रोफेसर चंदेल ने विद्यार्थियों और कर्मचारियों से राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कर्तव्य दायी और जिम्मेदार नागरिक बनने का आग्रह किया और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के आदर्शों को आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं को स्वतंत्रता के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझना चाहिए जो हमारे पूर्वजों के वर्षों के बलिदान के कारण हमें हासिल हुई है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की और कृषक समुदाय के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया। डॉ रेणु कपिल ने छात्रों को कृषि बागवानी के क्षेत्र में अपने उद्यम और अलग सोच के साथ आगे बढ़ने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपनी सोच को सीमित नहीं करना चाहिए और समय के साथ अपने कौशल विकास पर ध्यान देना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सोलो सॉन्ग और डांस, ग्रुप सॉन्ग एवं डांस और स्किट शामिल रहें। सभी दर्शकों ने छात्रों द्वारा की परफॉर्मेंस को खूब आनंद लिया। कार्यक्रम के बाद, एक पेड़ माँ के नाम कार्यक्रम के अंतर्गत पौधारोपन भी किया गया।