सराज घाटी के जंजैहली व आसपास के क्षेत्रों में ब्रास के फूल खिले हुए हैं। जो कि मार्च से मई महीने तक खिले रहते हैं। अद्भुत किसम का फूल है यह अधिकतम जंगलों में ही उगता है। स्थनीय बोली में इसे (बुराह )के नाम से जानते हैं ।यह प्रायः 3 रंगों में होता है लाल, गुलाबी व सफेद ,लेकिन लाल बुरास में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण होते हैं, ये ब्रास का फूल न केवल दिखने में ही सुंदर होता है अपितु इसके गुण औषधि से कम नही ।
इस फूल का प्रयोग सराज घाटी में पूजा के लिये भी होता है। इसके साथ विशेष पूजा होती है ,वैशाख महीने में इसका सबसे अधिक प्रयोग होता है मंदिरों में ,मंदिर के आंगन में ,मंदिर के झंडे के पास ,सब लोगों के घरों में ,गौशाला के दरवाजे पास होता है,। इसके अलावा ब्रास के फूलों से चटनी व शरबत बनाकर भी इसका प्रयोग करते हैं। इसे सुखाकर भी प्रयोग करते हैं ,ब्रास के फूलों की चटनी व शरबत खून की कमी को दूर करती है और रक्त संचार को सही करती है जिसको चक्कर की शिकायत हो तो इसका सेवन करने से चक्कर खत्म होता है।
लिवर व, जिसे नकसीर आती हो ,मतलव नाक से खून आना बंद होता है। इसमे प्रचुर मात्रा में आईरन होता है। इसकी पत्तियां पशुओं के चारे के काम आती है और पेड़ सुख जाने पर इसकी लकड़ी भी काम आती है लेकिन इससे कोई फर्नीचर नहीं बनाया जा सकता इसकी लकड़ी कच्ची होती है ।
इसके फूलों को एकत्रित करके लोग कुछ जगहों में इसे बेच कर काफी आय अर्जित करते हैं। लेकिन कुछ लोग अपने प्रयोग के लिए ही करते हैं , यह एक सुंदर फूल के साथ-साथ एक औषधीय पेड़ है इस में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण है यूं कहें कि गुणों की खान है यहजंगल मव उगने वाला ब्रास का फूल ।