शिमला 23 जनवरी
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत आज यहां जिला स्तरीय बैठक और प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । इस दो दिवसीय प्रशिक्षण में आरबीएसके टीम के सभी सदस्यों ने भाग लिया । बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला डॉ0 राकेश प्रताप ने की । उन्होने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आरबीएसके टीम की क्षमताओं को सुदृढ़ करना और जिले में कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है ।
सीएमओ ने बताया कि आरबीएसके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य जन्मजात विकारों, बीमारियों, पोषण की कमी और बच्चों में विकासात्मक देरी (4 डी) की शीघ्र पहचान और हस्तक्षेप करना है। उन्होने बताया कि शिमला जिला मे कुल 14 राष्ट्रीय बाल स्वास्थय कार्यक्रम मोबाइल हेल्थ टीम्स काम कर रही हैं जोकि 0 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों की उपरोक्त 4डी के लिए जांच तथा उपचार निशुल्क करवा रही है। यह कार्यक्रम वर्ष 2016 से हिमाचल प्रदेश में कार्यान्वित किया जा रहा है । इसके अंतर्गत वर्ष 2024-25 मे निर्धारित लक्ष्य 124178 मे से दिसंबर 2024 तक 80333 बच्चो की जांच की गई। इन 74 बच्चो मे जन्मजात विकार , 515 पोषण सम्बंधित बीमारियों के , 2000 बच्चो मे अन्य सम्बंधित बीमारियों की पहचान व उपचार करवाया गया है। साथ मे दिल के बीमरियों तथा अन्य शल्य चिकित्का के लिए इस वित्तीय वर्ष 20 लाख रुपए खर्च किया गया है। अनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जिला शिमला मे , दिसंबर 2024 तक 75984 बच्चों की जांच की गई तथा 16252 बच्चों मे खून की कमी पाई गयी है।
बैठक में आरबीएसके टीमों को टीबी को उन्मूलन करने के लिए 100 दिवसीय अभियान में भाग लेने के लिए समुदाय के बीच जागरूकता उत्पन्न की गई ताकि बच्चों और समुदाय को मानसिक स्वास्थ्य और नशामुक्ति के मुद्दों के बारे में अधिक जागरूक करने के लिए भी संवेदनशील बनाया गया जोकि युवा पीढ़ी के बीच तेजी से बढ़ रहे हैं।