सीएम ने दिया उनकी इस समस्या हल करने का आश्वासन
शिमला 26 सितंबर । ओबीसी सूची से तूरी जाति का नाम हटाए जाने पर प्रदेश का गंघर्व समुदाय ने कड़ा एतराज जताया है । जिस बारे बीते दिन गंधर्व कल्याण परिषद हिप्र के एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित एवं परिषद के अध्यक्ष विद्यानंद सरैक के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भेंट भी की तथा तूरी, हासी और ढाकी जाति को ओबीसी से हटाए जाने बारे अपनी व्यथा सुनाई ।
परिषद के प्रेस सचिव रमेश सरैक द्वारा रविवार को जारी बयान में बताया कि सीएम ने उनकी इस गंभीर समस्या को ध्यान से सुना तथा सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया गया। रमेश सरैक ने बताया कि उनके साथ एक बहुत बड़ा अन्याय हुआ है । इनका कहना है कि गंधर्व अर्थात तूरी, हासी और ढाकी जाति प्रदेश में सबसे अल्पसंख्यक श्रेणी में आती है । सबसे अहम बात यह है कि इनके द्वारा देव संस्कृति और देव परंपराओं को सदियों से निभाया जा रहा है । बताया कि विशेषकर शिमला व सिरमौर जिला के प्राचीन मंदिरों में आज भी इन जातियों के लोग देव परंपराओं निभा रहे हैं। इस जाति के अनेक ऐसे परिवार है जोकि आज भी देवताओं की जमीन पर काश्त करके रोजी रोटी कमा रहे हैं ।
रमेश सरैक ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 1993 में जारी सूची में तूरी, हैसी और ढाकी जाति का नाम शामिल थे । जिसकी सूची सीएम को भी दी गई है । ओबीसी के आधार पर इस जाति वर्ग के अनेक लोगों द्वारा वर्ष 2000 और 2005 में पंचायत चुनाव भी लड़ा गया था । वर्ष 2014 तक ओबीसी सूची में इस जाति का जिक्र किया गया था परंतु अक्समात इन जातियों को ओबीसी सूची से हटाया गया जोकि इन जातियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है । बता दें कि इन जाति वर्ग की ऐसी स्थिति हो गई है कि इनको न ही स्वर्ण और न ही अनुसूचित जाति श्रेणी में माना जाता है । रमेश सरैक का कहना है कि गंधर्व समुदाय का प्रदेश की संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण में अहम भूमिका निभाई जा रही है और प्रदेश में आदिकाल से गाए जाने वाले लोकगीतों, पारंपरिक वाद्य यंत्रों व देव पंरपराओं का संजोए रखा है । इनका कहना है कि गंधर्व समुदाय का नाम ओबीसी की सूची से किस रिपोर्ट के आधार पर काटा गया है इसकी जांच होनी चाहिए । उन्होने बताया कि ओबीसी सूची से हटाए जाने बारे इस जाति वर्ग से किसी प्रकार की कोई संवाद भी नहीं किया गया । रमेश सरैक का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार द्वारा इस गंभीर मुददे पर कोई पग नहीं उठाया गया तो उन्हें मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा ।
प्रतिनिधि मंडल में उपाध्यक्ष भूषण, हेतराम गंधर्व, रामदयाल सैनी, महासचिव बेलीराम, अतर सिंह, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार, रमेश गंधर्व सहित गंधर्व कल्याण परिषद के अन्य सदस्य शामिल थे ।