शिमला /केरला
प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट की बहुचर्चित कहानी “आभी” केरल विश्वविद्यालय के “चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम बीए माइनर” के लिए तैयार किए गए हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल की गई है। कहानी आभी नमक एक चिड़िया की है जो खुली जिला के जालोरी पास से आठ किलोमीटर दूर साढ़े ग्यारह हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सरेओलसर झील को साफ रखती है और जैसे ही कोई तिनका या पत्ता गिरता है वह उसे उठा लेती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने वन माफिया का पर्दा फाश तो किया है साथ ही पर्यावरण की रक्षा और स्वच्छता का भी बड़ा संदेश दिया है।
अंग्रेजी अनुवाद में यह कहानी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतर्गत बीए में भी पढ़ाई जाती है और कैंब्रिज पब्लिशिंग लंदन से प्रकाशित हरनोट के अंग्रेजी कहानी संग्रह “कैट्स टॉक” में भी संगृहीत है। कहानी का अनुवाद प्रो. मीनाक्षी एफ पॉल ने किया है। हरियाणा की एक संस्था ने तो इसके कई सौ मंचन कर दिए हैं। हरनोत के साहित्य पर हो रहे MPhil और पीएचडी के शोधों में यह कहानी प्रमुखता से शामिल है।
इससे पूर्व केरल विश्वविद्यालय के छात्र एम.ए. में कहानी “मां पढ़ती है” पढ़ रहे हैं और केरल शिक्षा विभाग के उच्च माध्यमिक विद्यालयों के पाठयक्रम में कहानी “एम डॉट कॉम ” पिछले कई सालों से पढ़ाई जा रही है। यही कारण था कि पिछले दिनों बीस लेखकों और प्रोफेसरों का एक शिष्टमंडल जो शिमला आया था उसके कई सदस्य हरनोट को मिलने घर पहुंचे थे और उनका सम्मान किया था।
पाठयक्रम की यह पुस्तक “गल्पतरू” शीर्षक से राजकमल प्रकाशन ने हाल ही में छात्रों के लिए प्रकाशित की है जिसका संपादन डॉ.स्मिता आर नायर, लेफ्टिनेंट डॉ.शबाना हबीब और डॉ. मंजू के एन द्वारा किया गया है। देश के छः प्रख्यात लेखकों.. चित्रा मुद्गल, ममता कालिया, ॐ प्रकाश वाल्मीकि, हरिशंकर परसाई, जय प्रकाश कर्दम और सफिया सिद्धिकी के साथ यह कहानी शामिल है।
सुखद संयोग है कि मां पढ़ती है और एम डॉट कॉम दोनों कहानियां आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित मेरे बहुचर्चित कथा संग्रह “जीनकाठी” में संकलित है जबकि आभी लिटन ब्लॉक गिर रहा है संग्रह में।
स्मरण करवा दें कि पिछले सप्ताह ही हरनोट की एक अन्य कहानी “नदी गायब है” डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, छत्रपति संभाजीनगर, औरंगाबाद महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक प्रथम वर्ष के हिंदी पाठ्यक्रम में ली गई है जिसे लोकभारती द्वारा प्रकाशित पुस्तक “कथा नवरंग” में संकलित किया है। इस तरह अब देश की लगभग 14 विश्वविद्यालयों के पाठयक्रम में Harnot की कहानियां पढ़ाई जा रही है।