लाहौल-चंबा को जोड़ने वाला 16,800 फीट ऊंचा कुगती पास आठ माह बाद श्रद्धालुओं और ट्रैकर्स की आवाजाही के लिए खुल गया है। कठिन डगर वाला यह रास्ता आमतौर पर चार माह तक ही आवाजाही के लिए खुला रहता है। सितंबर के बाद कुगती पास और इसके आसपास का क्षेत्र कभी भी बर्फ से ढक जाता है।
चंबा जिले के भेड़पालकों के लाहौल की चारागाहों में प्रवेश के बाद कुगती पास श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए खुल गया है। लाहौल, मनाली, कुल्लू, मंडी के श्रद्धालु इस रास्ते से मणिमहेश के दर्शन के लिए जाते हैं। जोबरंग पंचायत के पूर्व प्रधान सोम देव योकी ने कहा कि रास्ता कठिन होने के साथ ही उस बीच कोई इंतजाम भी नहीं है। श्रद्धालु भगवान भरोसे से इस रूट से आवाजाही करते हैं।
लाहौल के रापे गांव होते हुए कुगती पास लांघकर मणिमहेश झील तक चार दिन का ट्रैक है। श्रद्धालु इस रूट के पहले पड़ाव में खोलड़ु पदर में रात्रि ठहराव करते हैं। दूसरे पड़ाव माता थान, तीसरे में केलिंग मंदिर के बाद चौथे दिन मणिमहेश झील पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं को अपने साथ खाने-पीने के सामान के अलावा कंबल, मेट आदि भी साथ ले जाना पड़ता है। चिकित्सीय परामर्श के अनुसार हाई अल्टीट्युट सिकनेस की दवाई भी अपने साथ ले जाना अनिवार्य होता है।