शिमला में ओकार्ड इंडिया दिल्ली द्वारा आयोजित आठवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले की सफलता में प्रख्यात लेखक व हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस. आर. हरनोट का बड़ा योगदान :
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल जी ने भी उद्घाटन अवसर पर की तारीफ।
*प्रख्यात लेखक विनोद शाही की पुस्तक “कालजयी उपन्यास”, सुधीर विद्यार्थी की “नेहरू और क्रांतिकारी”, मोहन साहिल का कविता संग्रह “देवदार रहेंगे मौन” और अंकुश सूद द्वारा संपादित “गांव का इतिहास” और किन्नौर निवासी नवोदित लेखिका जहान्वी नेगी का उपन्यास “किरदार ए नकाब ” हुए लोकार्पित।
*पुस्तक मेले में प्रख्यात साहित्यकार व शिक्षाविद् प्रो.अब्दुल बिस्मिल्लाह, अंकित नरवाल, शशि भूषण मिश्र, ज्योत्सना मिश्र, कस्तूरिका मिश्र, गंगा राम राजी, गणेश गनी, पंकज दर्शी, पवन चौहान, संदीप शर्मा, मुरारी शर्मा, कृष्ण चन्द महादेविया, प्रोमिला भारद्वाज, किरण सूद, जया आनंद, जगदीश बाली, अनिल शर्मा नील, सामाजिक कार्यकर्ता रचना पठानिया सहित बहुत से स्थानीय लेखक रहे शामिल।
* सरकार के भाषा विभाग, अकादमी, राज्य संग्रहालय और उच्च अध्ययन संस्थान ने नहीं लगाए अपने स्टॉल, बनाए रखी दूरियां।
हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला और ओकार्ड इंडिया दिल्ली द्वारा नगर निगम शिमला के सहयोग से ऐतिहासिक रिज मैदान पर आयोजित आठवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला ग्यारह दिनों की धूमधाम के उपरांत अत्यंत सफलतापूर्वक और खुशनुमा माहौल में संपन्न हो गया। हालांकि मौसम के येलो और ऑरेंज एलर्ट ने बारिश की चिंता बनाए रखी परंतु प्रशासन और सरकार से ज्यादा मेहरबानियां इंद्रदेव की रही और बादलों ने खूब सहयोग दिया। आयोजक सरकार के “रेड एलर्ट” से भी सहमे सहमे रहे।
शुरुआती दौर यानी मेले से एक दिन पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर आयोजित प्रदर्शनी पहले निगम के वेन्यू में नहीं थी क्योंकि रिज पर स्थित पदमदेव कॉम्प्लेक्स का पुस्तक मेले का आधिकारिक आरक्षण 21 से 30 जून तक था। जबकि कांग्रेस की प्रदर्शनी का आरक्षण 20 जून तक ही था और नगर निगम प्रशासन ने साफ मना भी कर दिया था कि पुस्तक मेले की वजह से यह एक्सटेंड नहीं होगी परंतु नगर निगम चुनाव के मेनिफेस्टो में प्रति वर्ष राष्ट्रीय पुस्तक मेला घोषित करने वाली सरकार और कांग्रेस पार्टी ने इसे दरकिनार करते हुए पुस्तक मेले पर ही संकट के बादल खड़े कर दिए जबकि देश के प्रकाशक शिमला पहुंच चुके थे। निगम पर दबाव बनाया गया और इंदिरा गांधी के बुत के पास लग रहे स्टालों को पुस्तक मेले के आयोजकों को उखाड़ना पड़ा।
परंतु पुस्तक मेले की महत्ता देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने विनम्रता दिखाते हुए रिज पर स्टॉल लगाने की स्वीकृति दे दी और इस तरह पुस्तक मेला बचा भी और महामहिम राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल जी ने 21 को सांय 5.30 बजे उद्घाटन तो किया ही, हिमालय मंच के अध्यक्ष जो प्रख्यात लेखक भी है और मेले के स्थानीय संयोजक भी, उनके प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा भी की। साथ ओकार्ड इंडिया के निदेशक राकेश गुप्ता और राष्ट्रीय संयोजक सचिन चौधरी का लगातार आठवें पुस्तक मेले के आयोजन के लिए बधाई भी दी। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि ऐसे मेले प्रतिवर्ष होने जरूरी है ताकि युवा पीढ़ी को पुस्तक संस्कृति का लाभ मिलता रहे। उन्होंने सभी स्टाल विजिट किए और कई जरूरी किताबें खरीदी। पुस्तक मेले के निदेशक राकेश गुप्ता ने राज्यपाल महोदय का स्वागत करते हुए उनका धन्यवाद किया और साफ शब्दों में कहा कि शिमला में प्रति वर्ष एस आर हरनोट जी के बिना सहयोग के इसे आयोजित करना संभव नहीं हो पाता।
उद्घाटन के दिन राज्यपाल महोदय के साथ राकेश गुप्ता और उनका परिवार, सचिन चौधरी, डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता, पठानकोट से मेले में पधारी सामाजिक कार्यकर्ता रचना पठानिया, डॉ. देवेंद्र गुप्ता, कुमारसैन से जगदीश बाली और मीडिया कोर्डिनेटर हितेंद्र शर्मा, बिलासपुर से अनिल शर्मा, डॉक्टर कर्म सिंह, दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, कल्पना गांगटा, उमा ठाकुर नधैक, डॉक्टर अनिता शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा, स्नेह नेगी, नीता अग्रवाल, स्वप्निल सूर्यान, आयुष सहित बहुत से प्रकाशक भी उपस्थित रहे। ओकार्ड इंडिया के निदेशक राकेश गुप्ता ने सामाजिक कार्यकर्ता रचना पठानिया को हिमाचली शॉल, टोपी पहनाकर सम्मानित भी किया।
दूसरे दिन से गेयटी थियेटर सभागार में सात दिनों के साहित्य उत्सव आयोजित होते रहे। 22 को हिमालय मंच द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी में स्थानीय लेखकों के अतिरिक्त दिल्ली और हिमाचल के विभिन्न भागों से लेखकों ने भाग लिया। शिमला पुस्तक मेले की शोभा प्रख्यात साहित्यकार और शिक्षाविद प्रो.अब्दुल बिस्मिल्लाह जी रहे जिन्होंने कवि गोष्ठी सहित कई आयोजनों की अध्यक्षता की। कवि गोष्ठी में दिल्ली से ज्योत्सना मिश्र, कस्तूरिका मिश्र, काव्य मिश्र, पालमपुर से कमलेश सूद,पूजा सूद, अर्की से कुलदीप गर्ग तरुण, प्रोमिला भारद्वाज, सोलन से जया आनंद, किन्नौर से जहानवी नेगी, बिलासपुर से रत्न चन्द निर्झर, सोलन से ही रौशन विक्षिप्त थिओग से मोहन साहिल, सहित 50 से अधिक नए और वरिष्ठ लेखको ने कविता पाठ किया। मंच जगदीश बाली ने संभाला।
23 जून का अनूठा कार्यक्रम 50 बच्चों का कविता पाठ था जिसकी अध्यक्षता वाणी प्रकाशन की कार्यकारी अध्यक्ष अदिति माहेश्वरी गोयल ने की। बच्चों को उपहार और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। यह भी घोषणा की कि वाणी इन बच्चों की कविताओं का संग्रह प्रकाशित करेगा। इसमे डीएवी टूटू, दयानंद पब्लिक स्कूल शिमला, पोर्टमोर स्कूल, जाखू प्राइमरी स्कूल, आर्य समाज स्कूल आदि के बच्चे और अध्यापक, लेखक मौजूद रहे। मंच संचालन दीप्ति सारस्वत प्रतिमा ने किया।
इसी दिन दोपहर बाद ओकार्ड साहित्य सम्मान कुल्लू निवासी चर्चित कवि गणेश गनी को दिया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो.कुमार कृष्ण जी ने की और विशेष अतिथि डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता थे। कुल्लू, मंडी से वरिष्ठ लेखक गंगा राम राजी, कृष्ण चद महादेविया, कैलाश गौतम और मुरारी शर्मा सहित बहुत से स्थानीय लेखक मौजूद रहे। मंच डॉक्टर कर्म सिंह ने संभाला। इस अवसर पर
अब्दुल बिस्मिल्लाह जी भी उपस्थित रहे।
चौथा बड़ा कार्यक्रम हिंदी साहित्य और अनुवाद पर था जिसके समन्वयक कांगड़ा से आए पंकज दर्शी थे। मुख्य अतिथि प्रो. उषा बंदे, अध्यक्षता प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल ने की। अब्दुल बिस्मिल्लाह जी भी उपस्थित रहे और डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता भी। बाहर से आए लेखकों में जोगिंदर नगर से गंगाराम राजी, कृष्ण चन्द महादेविया, पवन चौहान, हमीरपुर से संदीप शर्मा और मंडी से मुरारी शर्मा जैसे नामी लेखक उपस्थित रहे। बहुत से स्थानीय लेखकों ने भी शिरकत की।
24 जून को आधार प्रकाशन के स्टॉल पर मोहन साहिल के कविता संग्रह का लोकार्पण शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर जी ने किया। इसका आयोजन प्रकाशन के निदेशक देश निर्मोही जी ने किया। पुस्तक पर वरिष्ठ कवि प्रो. सत्य पाल सहगल ने टिप्पणी की। संचालन और सर्जक संस्था का परिचय डॉ सत्य नारायण स्नेही ने किया। डॉ दिनेश शर्मा सहित बहुत से लेखक उपस्थित रहे। आधार के ही स्टॉल पर एक अन्य महत्वपूर्ण पुस्तक नेहरू और क्रांतिकारी का लोकार्पण राष्ट्रीय कांग्रेस कार्यकारणी सदस्य और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा सिंह जी ने किया। उन्होंने सभी स्टालों का दौरा किया और प्रकाशकों का उत्साह बढ़ाया। खूब किताबें खरीदी। उन्होंने तीन बार मेले का भ्रमण किया। साथ विक्रमादित्य सिंह, लोक निर्माण मंत्री भी मेले में आए और खूब किताबें खरीदी।
29 जून का कार्यक्रम समकालीन हिंदी साहित्य और अनुवाद पर था जिसके समन्वयक डॉ सत्यनारायण स्नेही थे। मुख्य वक्ताओं में डॉ वीरेंद्र सिंह, डॉ राजन तनवर, डॉ देविना अक्षयवर और डॉ संगीता कौंडल थी। परचर्चा की शुरुआत डॉ देवेंद्र गुप्ता के वक्तव्य से हुई। दीप्ति सारस्वत और कई लेखकों ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ हेमराज कौशिक और अध्यक्षता प्रो अब्दुल बिस्मिल्लाह जी ने की। मंच संचालन दिनेश शर्मा ने किया।
हिमालय मंच का अंतिम आयोजन नवरंग था जिसमें गीत गजल और कविता का अद्भुत मिश्रण रहा । इसके समन्वयक गुलपाल वर्मा जी रहे। मंच पर डॉ हेमराज कौशिक, डॉ मधु शर्मा कात्यायनी, जगदीश बाली और कुलदीप गर्ग तरुण विराजमान थे। कवियों के साथ गीतों से गुलपाल, जगदीश गौतम, ओम प्रकाश, अनिता शर्मा, देव कन्या ठाकुर, सीता राम शर्मा और कौशल्या ठाकुर ने खूब समा बांधा।
नेरी शोध संस्थान द्वारा गांव का इतिहास पुस्तक के दो खंड लोकार्पित हुए जिसका संपादन अंकुश सूद ने किया। इसमें कई शोधकर्ताओं का योगदान रहा है। इस अवसर पर नेरी शोध संस्थान के निदेशक चैत राम गर्ग ने बिस्तर से संस्थान के संदर्भ में बताया। डॉ कर्म सिंह जी ने पूरे कार्यक्रम का संयोजन किया। इसमें प्रो om प्रकाश सहित बहुत से गणमान्य व्यक्ति और छात्र उपस्थित रहे। एक अन्य कार्यक्रम मातृ वंदना संस्थान ने आयोजित किया।
इस तरह एक विशाल साहित्य उत्सव पुस्तक मेले का हिस्सा बना रहा जिसकी निरंतर मीडिया कवरेज और वीडियोग्राफी हिमालयन डिजिटल मीडिया के संचालक लेखक पत्रकार हितेंद्र शर्मा ने डॉ कर्म सिंह जी के मार्ग दर्शन में की। मेले के प्रचार प्रसार की डिजाइनिंग डिजाइन इंडिया के निदेशक जगदीश हरनोट की।
गाहे बगाहे सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी मेले से पुस्तकें खरीदते रहे जो बहुत अच्छा लगा।
मीडिया का बड़ा सहयोग रहा विशेषकर प्रचंड समय के संपादक और लेखक अश्वनी वर्मा का अभूतपूर्व सहयोग रहा।
वाणी प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, राजपाल एंड सनस, आधार प्रकाशन, कला प्रकाशन, ऋषि पब्लिकेशन, निखिल पब्लिकेशन, भारतीय ज्ञान पीठ,सस्ता साहित्य मंडल, प्रकाशन विभाग सहित सभी प्रकाशकों ने बहुत प्रशंसा की। प्रकाशकों को गेयटी सभागार में सम्मानित भी किया गया।