शिमला,13फरवरी
हिमाचल प्रदेश की राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने का दावे सब विफल होते नजर आ रहे हैं। शिमला को स्मार्ट सिटी बनाने की बजाय, शिमला को आयरन सिटी बना दिया गया है। जो पेड़ पौधे, जल के पुराने स्रोत, शिमला के वातावरण को सुंदर बनाते थे,वह सब धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
शिमला शहर में पानी के ऐसे पानी के स्रोत नहीं बचा है पर जो बचे हैं उन पर कई वर्षों से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के पास ( एचआरटीसी टैक्सी स्टॉपेज के सामने) एक सार्वजनिक पानी का नल लगाया गया था कुछ 11या 15 साल पहले उस समय से अबतक यह नल बंद ही नजर आ रहा है। जब यह नल लगाया गया था तो इसका ढांचा टूटा हुआ था। शिमला नगर निगम द्वारा उसकी मरम्मत की गई पर पानी के नल में ना पानी है ना कि उसके ऊपर जो टंकी रखी है उसमें भी पानी नहीं है।
” मैंने जब से यह नल देखा है, इसमें पानी नहीं है, लगभग एक दशक से यह बेकार पड़ा हुआ है। सार्वजनिक पेयजल स्टेशन को स्थापित हुए 12 से 15 साल से अधिक हो गए हैं। मुझे याद भी नहीं मैंने कब इससे पानी निकलता हुआ देखा है,” एक स्थानीय निवासी द्वारा साझा किया गया, जो कई सालों से वहां पर मौजूद है।
आश्चर्य की बात यह है कि जनता को पीने का पानी उपलब्ध करवाने के लिए 2000 लीटर की क्षमता वाली पानी की टंकी भी रखी गई है पर अगर पानी की आपूर्ति की बात की जाए तो ऐसा नहीं है। बता दे इस बिंदु से छोटा शिमला तक कोई अन्य सार्वजनिक स्टेशन पेयजल स्थापित नहीं है।
एसजेपीएनएल के एमडी डॉ पंकज ललित ने स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मुझे स्थिति की जानकारी नहीं थी, जल्द ही हम इस मामले को देखेंगे। लाइन अंडरग्राउंड होने के कारण सड़क की खुदाई के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी । इसलिए एक हफ्ते के भीतर हम मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, “हमने पहले ही मॉल और अन्य स्थानों पर सभी वाटर एटीएम को चालू कर दिया है और वह भी मुफ्त में।”
शिमला जैसे स्मार्ट सिटी में सर्वाजिक नलों में टंकी तो है मगर पेयजल नहीं है। पर यह जानकर बहुत दुख होता है कि इन वाटर स्टेशन को चालू करने के लिए एक बार फिर सड़के खोदी जाएगी और आम जनता के पैसे को ऐसे ही फिजूल किया जाएगा।
शिमला में स्मार्ट सिटी के नाम पर जो पार्क्स बनाए गए हैं चाहे वह नवबहार का पार्क हो या मॉल रोड का पार्क सब जगह गंदगी फैलाई हुई है ऐसे में शिमला को कैसे बचाया जा सकता है।