शिमला
हिमाचल कला संस्कृति व भाषा अकादमी की त्रैमासिक शोध पत्रिका ” सोमसी” का अंक 187 (जनवरी मार्च 2023) कुछ समय पहले ही प्रकाशित हुई है पर एक ही आलेख,अलग अलग लखकों के कारण, यह पत्रिका अब विवादों के घेरे में घिर चुकी है।
बता दे यह विवाद एक ही आलेख में अलग-अलग शीर्षकों और लेखक के नामों के तहत खड़ा होगया है। पाठको को समझ नहीं आरहा यह आलेख किसने लिखा है। इसी वज़ह से अब पत्रिका की संपादकीय नैतिकता के बारे में सवाल खड़े हो गए हैं।
विचाराधीन अंक, खंड 187 (जनवरी-मार्च 2023) में श्री हेमेंद्र बाली को श्रेय दिया गया “कुमार सेन का इतिहास एवं संस्कृति” शीर्षक से एक लेख था। इसके अतिरिक्त, श्री हितेश शर्मा द्वारा लिखित “देवता कोटेश्वर जी महाराज” शीर्षक से एक और लेख, उसी अंक के पृष्ठ 26-30 पर प्रकाशित हुआ। दोनों लेखकों का लिखने का तरीका एक जैसा है इतना ही नहीं बल्कि दोनों संस्करणों में 15 समान पैराग्राफ भी शामिल है , जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि क्या यह एक अनजाने में हुई त्रुटि थी या संपादकीय प्रक्रिया के भीतर भाई-भतीजावाद का मामला है।
एक बड़ी ही हैरानी वाली बात है इस पत्रिका में सिर्फ दोनों लेखों के बीच लेखक के नाम, लेख के शीर्षक और समापन खंड में पैराग्राफ की संख्या में अंतर देखा गया, श्री बाली का लेख 15 पैराग्राफ के साथ समाप्त हुआ और श्री शर्मा का लेख 11 पैराग्राफ के साथ समाप्त हुआ।
इस घटना ने हिमाचल कला संस्कृति विभाग, हिमाचल भाषा अकादमी और राज्य के शैक्षणिक समुदाय पर गहरा प्रभाव डाला है। इसमें इन लेखों के प्रकाशन के आसपास की परिस्थितियों की गहन जांच और “एसओएमएसआई” के तत्कालीन संपादक डॉ. करम सिंह द्वारा अपनाई गई संपादकीय नैतिकता और प्रथाओं की जांच की मांग की गई है।
यह घटना अकादमिक प्रकाशन के क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक मानकों के पालन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। साहित्यिक समुदाय, साथ ही पाठक, हिमाचल प्रदेश में साहित्यिक पत्रकारिता के मानकों को बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हैं।