Preneeta Sharma
जहाँ हिमाचल सरकार ने कोरोना महामारी के चलते सब सरकारी कार्यालय को 26 मई तक बंद रखा है वहीं अब कार्यलय के कर्मचारियों की सैलरी हो या अन्य कार्य कौन करेगा।
सरकारी कर्मचारियों चाहे वो क्लास 1 या क्लास 2 अधिकारी हो सब अपना कार्यलय जगह छोड़ अपने गाँव में छुटियाँ मनाने चले गए है। तो अब कार्यालय के जरुरी काम कौन करेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है क्यूंकि सरकार के सख्त आदेश थे कि 11किलोमीटर तक सरकारी कार्यालय के कर्मचारी जा सकते है। पर क्या सरकार के आदेश का पालन हुआ? नहीं, क्यूंकि ज़्यदातर कर्मचारी लॉक डाउन के नाम पर अपने घर भाग गए।
बता दे आजकल कर्मचारियों का वेतन और अन्य बिल ट्रेज़री में बनाकर देने होते है तभी महीने का वेतन और अन्य बिल क्लियर होते है। पर अब जब कोरोना महामारी के कारण सरकार ने सब कार्यलय बंद करे है तो अब कार्यालय के काम कौन करेगा। क्यूंकि सब गाँव छुट्टी मनाने गए है, चाहे वो अधीक्षक, अकाउंटेंट और अन्य कर्मचारी। फिर कौन करेगा काम? कार्यालय का काम या तो जो व्यक्ति आउटसोर्स पर रखा है या जिसका कॉन्ट्रैक्ट अवधि चली है वो ही करेंगे बाकी 60000 या उसके उप्पर का वेतन लेकर घर पर मजे करेंगे।
यह शिमला के एक कार्यलय का हाल नहीं बल्कि सब कार्यलयों का हाल है उन्हें छोड़ कर जो हिमाचल सरकार ने इमरजेंसी के लिए खोले है वहीं कर्मचारी आ रहे है चाहे स्वास्थ्य ,बिजली या अन्य हो बाकी कर्मचारि तो गाँव में शादी या अन्य त्यौहार मना रहे है।जो
प्रदेश सरकार को उनके आदेशो की उलंघना करने वालो पर सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए और जो कर्मचारी बिना बाताए अपना कार्यलय स्टेशन छोड़ गए है उनकी आधी सैलरी कोविड 19फण्ड में डालने के निर्देश दिए जाने चाहिए। कोरोना महामारी को ख़तम करने के लिए जैसे स्कूल अध्यापक की ड्यूटी लगी वैसे ही सरकारी कर्मचारियों की भी लगनी चाहिए।