हाईकोर्ट से मिला स्टे, अब मंगलवार को होगी सुनवाई
शिमला
शिमला के प्रसिद्ध वाइल्ड फ्लावर हॉल पर अब सरकार का कब्जा हो गया है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अधिकारी और जिला प्रशासन ने आज इसे अपने कब्जे में लिया। उधर,हिमाचल हाईकोर्ट ने ओबेरॉय ग्रुप के फाइव स्टार वाइल्ड फ्लावर हॉल पर सरकार के कब्जे के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर स्टे लगा दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार को कब्जा करने के आदेश दिए थे। ईसके बाद सुबह छराबड़ा के वाइल्ड फ्लावर हॉल पर कब्जा कर लिया था। मगर, कोर्ट ने स्टे लगाकर सेम-स्टेटस रखने के आदेश दिए है। इस मामले में अब मंगलवार को सुनवाई होगी।
एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि हालांकि सरकार ने यह कार्रवाई हाईकोर्ट के पिछले कल के आदेशों पर ही की है, लेकिन कोर्ट ने प्रॉपर्टी पर कब्जे को लेकर पूछा। इस बीच सरकार ने यहां एडमिनिस्ट्रेटर बैठा दिया। इसलिए कोर्ट एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर स्टे लगाया है। इस बीच छराबड़ा में ओबेरॉय ग्रुप से प्रॉपर्टी वापस लेने की कागजी कार्रवाई चल रही थी। अब कोर्ट के आगामी आदेशों का इंतजार करना होगा।आज सुबह ही दल-बल के साथ छराबड़ा पहुंचा प्रशासन
इससे पहले एचपीटीडीसी और जिला प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ आज सुबह गाड़ियों के काफिले संग छराबड़ा पहुंचा और ओबेरॉय ग्रुप के होटल पर कब्जा कर लिया था। इससे ओबेरॉय ग्रुप के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। सरकार ने 86 कमरों वाला 22 एकड़ जमीन में बनी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी अपने कब्जे में कर ली। इसकी पुष्टि डायरेक्टर टूरिज्म मानसी सहाय ने की।गौरतलब है कि हाईकोर्ट अगस्त 2022 में ही ओबेरॉय ग्रुप की इस संपत्ति को सरकार द्वारा वापस लेने के निर्णय को सही बता चुका है। अदालत ने कंपनी के साथ किए करार को रद्द करने के सरकार को निर्णय को सही ठहराया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास संपत्ति को ओबेरॉय ग्रुप से वापस लेने का पूरा अधिकार है।1993 में आग के बाद जलकर राख हुआ था वाइल्ड फ्लावर साल 1993 में भीषण आग लगने से वाइल्ड फ्लावर हॉल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस स्थान पर नया होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी के साथ करार किया था। करार के अनुसार कंपनी को चार साल के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को 2 करोड़ रुपए जुर्माना प्रतिवर्ष राज्य सरकार को अदा करना था। वर्ष 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम जमीन को ट्रांसफर किया। शिमला के छराबड़ा में 300 एकड़ घने देवदार के जंगल के बीचोबीच बना है ओबरॉय ग्रुप का वाइल्ड फ्लावर हॉल।साल 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार को रद्द कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए मध्यस्थ के पास भेजा। मध्यस्थ ने कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया था और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने बैंच के समक्ष चुनौती दी थी।
बैंच ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा कि मध्यस्थ की ओर से दिया गया फैसला सही और तर्कसंगत है। कंपनी के पास यह अधिकार बिल्कुल नहीं कि करार में जो फायदे की शर्तें हैं, उन्हें मंजूर करे और जिससे नुकसान हो रहा हो, उसे नजरअंदाज करें। अब जाकर सरकार ने कोर्ट के आदेशों पर कब्जा किया है।
वाइल्ड फ्लावर हॉल ब्रिटिश सेना के पूर्व कमांडर लॉर्ड किचनर का पूर्व निवास, वाइल्ड फ्लावर हॉल 5 सितारा रिसॉर्ट है, जो एक भव्य आलीशान घर के माहौल का अनुभव कराता है। वाइल्ड फ्लावर हॉल प्रकृति में खुद को खोने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।1909 में, लॉर्ड किचनर ने इंग्लैंड लौटने के बाद, वाइल्ड फ्लावर हॉल को रॉबर्ट हॉट्ज़ और उनकी पत्नी को बेच दिया गया। 1925 में, पुराने घर को ध्वस्त करने के बाद, होट्ज़ ने एक बढ़िया तीन मंजिला होटल बनवाया। आजादी के बाद होटल को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। 1971 तक यह इंडियन टूरिज्म के अंडर रहा। 1973 में इसे HPTDC को दिया गया। जिसमें 1993 तक वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल चलाया।1993 में शॉर्ट सर्किट के कारण आग की भेंट चढ़ा 5 अप्रैल 1993 को बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण भीषण आग से लकड़ी से बना होटल जलकर राख हो गया। इसके बाद, सरकार ने ओबेरॉय ग्रुप के माध्यम से यहां होटल बनाया। अब हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर स्टे दे दिया..