हमीरपुर
हिमाचल के जिला हमीरपुर में मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्री पद के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। इस पद की दौड़ में हमीरपुर जिले के दो विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और राजेंद्र राणा शामिल है।भोरंज से सुरेश कुमार पहली मर्तबा विधायक बने हैं। कहीं ना कहीं सुरेश कुमार को जिताने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खास राजीव राणा का भी बहुत अहम योगदान है।
पर जैसे हालात बने हुए हैं हमीरपुर के विधायक इंद्रदत्त लखन पाल का मंत्री पद मजबूत दिखाई पड़ रहा है।बड़सर विधानसभा क्षेत्र के विधायक इंद्रदत्त ने पंद्रह साल से भाजपा के कब्जे में रहे बड़सर के किले को ढहाया है।
लखनपाल ने न केवल भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर जीत का परचम लहराया, बल्कि इस बार के चुनाव में जीत की हैट्रिक भी लगाई। वर्ष 2012 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार में लखनपाल प्रदेश सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) भी रहे हैं। हालांकि, शिमला विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और इंद्रदत्त लखनपाल एक साथ रहे हैं और उनके उनको करीबी भी माना जाता है।
कॉलेज समय से एनएसयूआई के सहयोगी रहे सुक्खू और लखनपाल बाद में एक साथ नगर निगम शिमला के पार्षद चुने गए। लखनपाल नगर निगम शिमला के बालूगंज वार्ड तो सुक्खू छोटा शिमला से काउंसलर चुने गए। लखनपाल दो बार खुद और दो बार उनकी पत्नी शिमला नगर निगम की पार्षद रही हैं। इंद्रदत्त लखनपाल हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवादल के चीफ भी रहे हैं। इस लिहाज से हमीरपुर जिले से अगर कोई मंत्री बना तो लखनपाल का दावा मजबूत होगा।