डॉक्टरों को बारिश में घंटों इंतज़ार करवाने के बाद कुछ लोगों से मिलकर खानापूर्ति करने कर बोले नेता प्रतिपक्ष
शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री द्वारा आईजीएमसी के डॉक्टर्स को मिलने के लिये बारिश में दो घंटे तक इंतज़ार करवाने और सभी डॉक्टर्स से न मिलने की निंदा करते हुए संवेदनहीन कृत्य बताया। बंगाल में हुई हैवानियत पर मुख्यमंत्री समेत सरकार और हिमाचल कांग्रेस के नेताओं के मुंह से एक भी शब्द भी नहीं निकला। कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए प्रदेश के डॉक्टर मुख्यमंत्री से मिलने आए लेकिन मुख्यमंत्री ने बारिश में उन्हें दो घंटे का इंतज़ार करवाया और सभी डॉक्टर्स से मिले भी नहीं। सिर्फ़ कुछ डॉक्टर्स से मिलकर सभी को ऐसे ही वापस कर दिया। जिससे डॉक्टर्स निराश होकर चले गए। डॉक्टर्स के प्रति मुख्यमंत्री का रवैया बताता है कि वह बंगाल में हुए ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म-हत्या और प्रदेश के डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर कितने संवेदनहीन हैं। दो दिन पहले ही आईजीएमसी के महिला छात्रावास में हुई घटना बहुत बड़ी सुरक्षा चूक है। यह फिर कभी न होने पाए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर के प्रकरण में कांग्रेस समेत इंडी ब्लॉक का रवैया सिर्फ़ निराशाजनक नहीं शर्मनाक रहा। सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कांग्रेस समेत इंडी ब्लॉक के नेता पीड़िता के साथ नहीं बल्कि आरोपियों को बचाने वाली ममता सरकार के ख़िलाफ़ खड़े रहे। अब इंडी ब्लॉक के नेता सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर ममता सरकार के पक्ष में मुक़दमा लड़ रहे हैं। पूर्व में कांग्रेस के क़द्दावर नेता और वकील यूपीए की सरकार में मंत्री रहे कपिल सिब्बल नेता इतने जघन्य कांड में पीड़िता के लिए न्याय की बजाय आरोपियों का साथ देने वाली बंगाल सरकार के साथ खड़े थे। कांग्रेस समेत इंडी ब्लॉक के नेताओं को पीड़िता के साथ होना चाहिए था जिससे कि उन्हें न्याय मिल सके। हिमाचल कांग्रेस के नेताओं को भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बंगाल प्रकरण की भर्त्सना करनी चाहिए। मुख्यमंत्री को आज प्रदेश के डॉक्टर्स के साथ किए शर्मनाक बर्ताव के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या से जुड़ी जांच में अब जो तथ्य मीडिया के माध्यम से सामने आ रहे हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार के पास मुख्य न्यायाधीश के सवालों के जवाब ही नहीं थे। ट्रेनी डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के प्रकरण में राजनीति से ऊपर उठकर न्याय के लिए आवाज़ उठानी चाहिए।