शिमला 17 नवंबर । सर्दियों मंे मवेशियों के लिए चारा स्टोर करने के लिए इन दिनों क्योंथल क्षेत्र में महिलाएं घास एकत्रित करने में दिनरात जुटी है ताकि आगामी चार माह के दौरान बर्फबारी व वर्षा होने पर पशुओं को भरपूर चारा मिल सके । हालंाकि अब घास काटने का कार्य दराती की बजाए ग्रास कटिंग मशीन से किया जा रहा है।
प्रगतिशील किसान एवं वरिष्ठ नागरिक दयाराम वर्मा और प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि हर वर्ष अक्तूबर व नवंबर माह के दौरान ग्र्रामीण परिवेश में किसान घास कटाई के अलावा किसान मक्की व दलहन की फसलें एकत्रित करने में काफी व्यस्त रहते हैं। महिलाएं प्रातः होते ही दोपहर का भोजन साथ लेकर घासनियों में चली जाती है । अतीत में घास को काटने के लिए अक्सर गांव की महिलाएं एकत्रित होकर क्रमवार सभी का घास काटने में हाथ बंटाती है जिसे स्थानीय भाषा में गसाई अथवा नलाई कहा जाता है । इस दौरान महिलाओं द्वारा मनोविनोद के लिए पहाड़ी गीत व विभिन्न मुददों पर चर्चा भी की जाती है जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता था परंतु अब घास की कटाई का सारा कार्य मशीन से किया जा रहा है ।
दयाराम वर्मा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खेतीबाड़ी के साथ साथ पशुपालन का कार्य करते हैं चूंकि मवेशियों के बिना उन्नत कृषि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । सर्दियों में मशेवियों के लिए चारा एकत्रित करके रखना जरूरी होता है जिसके लिए किसान सर्दियां आने से पहले ही घास का प्रबंध करते हैं । उन्होने बताया कि ग्रामीण महिलाएं शारीरिक रूप से इतनी सशक्त होती है कि घास व लकडी का करीब डेढ व दो मन का बोझ चार -पांच किलोमीटर से पीठ पर घर लाती है । घास को घर लाकर एक जगह इकटठा करके रखा जाता है जिसे स्थानीय भाषा में गोमट कहा जाता है । बता दें कि गोमट में रखा घास बारिश होने पर भी भीतर से सूखा रहता है ।