शिमला
हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले को लेकर पुलिस विभाग में आंतरिक घमासान उजागर हो गया है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद शिमला के एसपी संजीव गांधी ने शनिवार को प्रैस वार्ता कर सीधे-सीधे प्रदेश पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा पर गंभीर आरोप जड़ दिए हैं। एसपी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैंने 25-26 वर्षों का पुलिस सेवा का जीवन तपस्या की तरह जिया है। अगर मेरी ईमानदारी और पेशेवर निष्ठा पर सवाल उठाया गया, तो मैं पद छोड़ना पसंद करूंगा। संजीव गांधी ने बताया कि विमल नेगी मौत मामले में शिमला पुलिस की एसआईटी ने निष्पक्ष और गहन जांच की थी, जिसे पुलिस महानिदेशक द्वारा कोर्ट में दायर हलफनामे से गलत ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि अब इस पूरे मामले को दोबारा अदालत में रखा जाएगा और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सच्चाई को सामने लाया जाएगा, ताकि दिवंगत विमल नेगी को न्याय मिल सके।
संजीव गांधी ने वर्ष 2023 में मिडल बाजार गैस ब्लास्ट का मामला भी उठाया, जिसमें शुरूआती जांच में एनएसजी ने इसे आतंकी हमला बताकर आरडीएक्स की मौजूदगी की बात कही थी। गांधी ने आरोप लगाया कि इसी आधार पर पुलिस महानिदेशक ने उनके खिलाफ मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी और लापरवाही के आरोप लगाए, लेकिन बाद में जांच में सामने आया कि धमाका एलपीजी सिलैंडर से हुआ था, न कि आरडीएक्स से। गांधी ने कहा कि सवाल ये उठता है कि हमारे उच्च पुलिस अधिकारी एनएसजी जैसी राष्ट्रीय एजैंसी का इस तरह कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
संजीव गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि शिमला पुलिस ने सीआईडी के एक मामले में जांच की थी, लेकिन जांच से जुड़ा गोपनीय पत्र पुलिस महानिदेशक के निजी स्टाफ की ओर से लीक करवाया गया, जिसकी एफआईआर भी दर्ज हुई है। उनका कहना है कि इस पत्र की जांच में भी पुलिस महानिदेशक ने हस्तक्षेप किया और अपनी पसंद के अधिकारियों से जांच करवाने की कोशिश की।
संजीव गांधी ने कहा कि पुलिस महानिदेशक ने अदालत में ऐसे हलफनामे दाखिल किए जो भ्रामक हैं। इसके अलावा पुलिस महानिदेशक पर एक जूनियर अधिकारी से दबाव डालकर मनमाफिक रिपोर्ट तैयार करवाने और उसे अदालत में पेश करने का भी आरोप लगाया गया है। संजीव गांधी ने यह भी बताया कि विनय अग्रवाल से जुड़े एक मामले में भी पुलिस महानिदेशक पर सवाल उठे हैं और इस संबंध में समय-समय पर सरकार को पत्र लिखे गए हैं।
संजीव गांधी ने खुलासा किया कि पिछले अढ़ाई वर्षों में नशा तस्करी के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया गया, जिसमें संजय भूरिया नामक ड्रग गैंग का भंडाफोड़ हुआ। इस गैंग से पुलिस महानिदेशक के निजी स्टाफ के एक कर्मचारी की संलिप्तता भी सामने आई है। मामले की जांच के लिए सैशन कोर्ट में अनुमति मांगी गई है। गांधी ने यह भी कहा कि जब पुलिस महानिदेशक का कार्यालय इस तरह के संदिग्ध व्यक्तियों के प्रभाव में काम कर रहा हो, तो पुलिस अधीक्षक का कर्तव्य बनता है कि वह न केवल जांच को बचाए, बल्कि जनता को भी सच्चाई से अवगत कराए।
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