प्रदेश के स्कूलों में पीएम पोषण योजना (मिड-डे मील), इसकी जांच होगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी स्कूलों को इसके लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए है ।
इस में यह जाँचा जाएगा की मिड-डे मील में बच्चों को कौन-कौन से आइटम परोसी जा रही है और इसकी डिटेल मांगी है।उच्च शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों के डिप्टी डायरेक्टर को इस बारे में आदेश जारी किए गए हैं कि तीन माह के भीतर केंद्र आयोग के आदेशों को स्कूलों में लागू करवाएं और इसकी एटीआर यानि एक्शन टेकन रिपोर्ट भी निदेशालय भेजें।
मिड दे मील योजना में बच्चों को दिए जाने वाले आहार में दूध और अंडे को जरूरी बताया गया है। हालांकि प्रदेश के स्कूलों में कोविड के चलते पिछले डेढ़ साल से मिड-डे मील नहीं बन रहा और बच्चों को घर में ही सूखा राशन दिया जा रहा है, लेकिन इसमें यह देखा जाएगा कि बच्चों को सूखे राशन में पौष्टिक आहार बांटा गया है की नहीं।
फूड सेफ्टी स्टेंटर्ड एक्ट के तहत खाने के सैंपल भी समय-समय पर लैब में टेस्टिंग के लिए भेजने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर मिड-डे मील का राशन वितरित करने के लिए कहा गया है। तीसरी पार्टी के द्वारा मिड-डे मील का सोशल ऑडिट करने के लिए भी कहा गया है। बता दे डेढ़ साल से विभाग बच्चों को केवल सूखा राशन ही मुहैया करवा रहा है। प्रदेश के 15466 स्कूलों में मिड-डे मील योजना चल रही है। योजना के तहत पहली से पांचवीं के विद्यार्थियों को 100 ग्राम चावल और छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को 150 ग्राम चावल प्रतिदिन मिलते हैं। प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए ताजे फल, ड्राई फु्रट दलिया और खिचड़ी दी जाती है।