हिमाचल प्रदेश के 1.36 लाख कर्मचारियों का एक अप्रैल से नेशनल पेंशन सिस्टम का शेयर नहीं कटेगा। बीते सप्ताह मंत्रिमंडल की बैठक में हुए इस फैसले की सोमवार को वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली की ओर सुक्खू सरकार ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। अब जल्द ही पुरानी पेंशन बहाली की एसओपी जारी होगी। कर्मचारियों से दोनों पेंशन में से एक को चुनने के लिए विकल्प मांगे जाएंगे।
एनपीएस में प्रतिमाह 10 प्रतिशत शेयर कर्मचारी और 14 फीसदी सरकार की ओर से दिया जाता था। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपनी दस गारंटियों में पुरानी पेंशन बहाली को पहली प्राथमिकता बताया था। सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन बहाली को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी गई थी। बीते दिनों हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक अप्रैल से कर्मचारी और सरकार का एनपीएस शेयर नहीं देने का फैसला लिया था।
इसी कड़ी में सोमवार को वित्त विभाग ने सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत पुरानी पेंशन बहाल करने की अधिसूचना जारी कर दी है। नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत कटने वाले शेयर पर भी रोक लगाने का फैसला लिया है। एनपीएस का पैसा केंद्र सरकार के अधीन पीएफआरडीए में जमा होता है। इस फंड के तहत हिमाचल प्रदेश के 8000 करोड़ रुपये केंद्र के पास जमा है।
सुक्खू सरकार ने इस राशि को वापस देने के लिए बीते दिनों केंद्र सरकार को पत्र भी भेजा था हालांकि पीएफआरडीए ने पैसा देने से इंकार कर दिया है। उधर, पुरानी पेंशन बहाली के तहत कर्मचारियों का जीपीएफ कैसे कटेगा, इसकी प्रक्रिया पर काम चला हुआ है। जल्द ही इसके नियम भी अधिसूचना के माध्यम से जारी होंगे। इसके अलावा एनपीएस या ओपीएस में से एक को चुनने के लिए कर्मचारियों से विकल्प भी मांगे जाएंगे। विकल्प मांगने वाले परफार्मा को इन दिनों तैयार किया जा रहा है।