सावन का दूसरा सोमवार आज, यानी 2 अगस्त को है। सावन मास भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। सावन को सोमवार का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन मास में शिविंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध और जल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने के लिए सोमवार व्रत भी रखते हैं।
भगवान शिव की अराधना के लिए सावन मास सबसे उत्तम माना गया है। शिवपुराण के अनुसार, सावन में हर दिन सच्चे मन से भगवान शंकर की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। सावन के दूसरे सोमवार पर नवमी तिथि और कृतिका नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। भगवान शिव की पूजा से जीवन में आने वाले दुख, कष्टों और परेशानियों का अंत होता है। जानिए भगवान शंकर की किन मुहूर्त में न करें पूजा-
सावन के दूसरे सोमवार को कृतिका नक्षत्र रहेगा और इस दिन कृष्ण पक्ष की नवमी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, नवमी तिथि की देवी मां दुर्गा हैं। सोमवार के देवता चंद्र हैं। कृतिका नक्षत्र के स्वामी सूर्य व शुक्र हैं। ऐसे में ज्योतिषीय नजरिए से सावन के दूसरे सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन चंद्र देव और सूर्य देव की पूजा का भी विशेष महत्व है।
भगवान शंकर की इन मुहूर्त में न करें पूजा-
राहुकाल- सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक।
यमगंड- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक।
गुलिक काल- दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक।
दुर्मुहूर्त काल- दोपहर 12 बजकर 54 मिनट से 01 बजकर 48 मिनट तक इसके बाद दोपहर 03 बजकर 36 मिनट से 04 बजकर 30 मिनट तक।
वर्ज्य काल- सुबह 09 बजकर 10 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक।
भद्रा काल- मध्यरात्रि 11 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 05 बजकर 44 मिनट तक।
पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।