हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (HPPCL) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में उनकी पत्नी किरण नेगी ने सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 24 मार्च 2025 को राज्य विधानसभा के बजट सत्र में विमल नेगी की पत्नी को बहन बताते हुए कहा था कि उनके परिवार को सरकार की जांच पर पूरा भरोसा है। लेकिन सोमवार को याचिका दायर करने के बाद विमल नेगी के भाई एससी नेगी ने साफ कर दिया कि अब उन्हें हिमाचल पुलिस की जांच पर बिल्कुल भरोसा नहीं है।
देशराज को बचाती रही पुलिस
एससी नेगी ने कहा कि हाईकोर्ट से बेल खारिज होने के बाद भी हिमाचल पुलिस HPPCL के डायरेक्टर देशराज को पकड़ नहीं पाई। उसके बाद जब वह सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लेकर पहुंचा तो उस पर बहस के लिए सरकार का कोई वकील ही खड़ा नहीं हुआ। विमल नेगी के परिजनों ने हाईकोर्ट से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए याचिका दायर की है।
सुक्खू सरकार ने विमल नेगी के 10 मार्च को गायब होने और 18 मार्च को बिलासपुर में गोविंद सागर झील से उनका शव बरामद होने के बाद ACS ओंकार शर्मा की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की थी। साथ ही सरकार ने जांच रिपोर्ट के लिए 15 दिन का समय दिया था। ओंकार शर्मा अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप चुके हैं, लेकिन सुक्खू सरकार ने अभी तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में HPPCL के एमडी हरिकेश मीणा और डायरेक्टर देशराज पर परिजनों के लगाए प्रताड़ना के आरोप को सही पाया गया है।
मेरे पति का फोन कहां है- किरण नेगी
आपको बता दें कि सोमवार को ही विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि पुलिस जानबूझकर सबूतों को छिपा रही है और केस को दूसरी दिशा में मोड़ने की कोशिश कर रही है। किरण नेगी ने बताया कि उनके पति के शव की शिनाख्त के लिए न तो घटनास्थल पर परिवार को बुलाया गया और न ही मोबाइल फोन का अब तक कुछ पता चल पाया है। उन्होंने यह भी बताया कि विमल हमेशा अपनी जेब में आधार और एटीएम कार्ड रखते थे, लेकिन ये दोनों चीजें भी गायब हैं।
पेन ड्राइव का नहीं किया जिक्र, FIR में भी लापरवाही
किरण ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उस पेन ड्राइव का जिक्र तक नहीं किया जो उनके पति के पास होती थी। इतना ही नहीं, उन्होंने एफआईआर में देसराज और एमडी का नाम स्पष्ट रूप से लिखा था, लेकिन पुलिस ने इसे नज़रअंदाज़ करते हुए “अज्ञात” शब्दों का इस्तेमाल किया।