हाईकोर्ट ने IAS मीणा की जमानत याचिका पर सुरक्षित किया फैसला
शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत से जुड़े मामले में एचपी पावर कॉरपोरेशन के पूर्व एमडी आईएएस अधिकारी हरिकेश मीणा की जमानत याचिका में सीबीआई के आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. सीबीआई ने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा जांच को प्रभावित करने और सीबीआई अधिकारियों के साथ सहयोग न करने के आरोप लगाए हैं.
सीबीआई ने मामले में राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाए रखने के खिलाफ दलील दी है कि राज्य सरकार जमानत याचिका का विरोध करने की बजाय अपने अधिकारियों के बचाव को प्राथमिकता दे रही है. सीबीआई ने एसआईटी जांच पर भी सवालिया निशान लगाए हैं. दूसरी ओर सरकार का कहना है कि सीबीआई जांच में उनका कोई दखल नहीं है. बल्कि अपने अधिकारियों को सीबीआई उत्पीड़न से बचाने के लिए उसका मामले में हस्तक्षेप करना जरूरी है.
हाईकोर्ट ने सीबीआई के आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखते हुए आईएएस मीणा को दी गई अंतरिम राहत भी फैसला आने तक बढ़ा दी है. मामले में 7 अप्रैल को हाईकोर्ट ने प्रार्थी मीणा को अंतरिम राहत देते हुए जांच टीम को उसके खिलाफ कोई दंडात्मक एक्शन न करने के आदेश दिए थे. मामले पर सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह के समक्ष हुई.
उल्लेखनीय है कि इस साल दस मार्च से लापता एच.पी.पी.सी.एल. के चीफ इंजीनियर विमल नेगी निदेशक का शव 18 मार्च को बिलासपुर स्थित गोबिंद सागर झील में मिला था. विमल नेगी के लापता होने के बाद उनकी पत्नी किरण नेगी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पावर कॉरपोरेशन के एमडी हरिकेश मीणा, निदेशक देसराज समेत अन्य उच्च अधिकारियों पर उनके पति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
विमल नेगी की पत्नी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए न्यू शिमला पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. इसमें आरोपी बनाए गए पूर्व निदेशक देसराज व एमडी हरिकेश मीणा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हाईकोर्ट के आदेशानुसार अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है.









