हमीरपुर, 14 अक्तूबर:
हिमाचल प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता और सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने सुक्खू सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपने नजदीकी अधिकारियों को बचाने और उन्हें ऊँचे पदों पर बिठाने के लिए नियम-कायदों की खुली धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हिमुडा में विजिलेंस जांच का सामना कर रहे एक अधीक्षण अभियंता को पहले चीफ इंजीनियर और फिर सीईओ बना दिया गया, जबकि बेरोजगार युवाओं के लिए दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने हिमुडा विभाग में 633 पदों में से 327 पद समाप्त कर दिए, जो कुल पदों का लगभग 55 प्रतिशत से अधिक है। यह निर्णय एक अधिसूचना के माध्यम से लिया गया और इससे स्पष्ट है कि सरकार हिमुडा को धीरे-धीरे खत्म करने पर आमादा है।
उन्होंने शिमुडा में पदों की समाप्ति का विवरण देते हुए बताया कि सीनियर असिस्टेंट के 58 में से 42 पद, क्लर्क के 24 में से 24 पद, डिविजनल अकाउंटेंट के 7 में से 7 पद,
स्टेनो टाइपिस्ट के 9 में से 9, और सर्वेयर के 8 में से 8 पद रद्द कर दिए गए।
राजेंद्र राणा ने कहा कि “कई पदों की समाप्ति में तो सरकार ने 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट हासिल कर ली है।”
उन्होंने कहा कि सिरमौर जैसे पिछड़े जिले में हिमुडा का डिवीजन बंद कर दिया गया, जबकि आवास मंत्री ने उस डिवीजन को अपने क्षेत्र घुमारवीं में स्थानांतरित करवा लिया। इतना ही नहीं, हिमुडा का इलेक्ट्रिक विंग पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है और अब यह विभाग इलेक्ट्रिकल व आर्किटेक्चरल सेवाएं आउटसोर्स एजेंसियों से लेने जा रहा है।
राजेंद्र राणा ने खुलासा किया कि जिस अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस केस चलाने की अनुमति मांगी गई थी, उसी अधिकारी की जांच रफा-दफा कर उसे हिमुडा का प्रमुख (सीईओ) बना दिया गया। जांच खत्म करवाने के लिए उसे पहले चीफ इंजीनियर बनाया गया और फिर उसके अधीनस्थ अधिकारियों से ही रिपोर्ट बनवाकर मामला समाप्त कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह अधिकारी अब बिल्डर्स लॉबी और प्रॉपर्टी डीलर्स के हित में काम कर रहा है, और हिमुडा में निजी सौदों के करार किए जा रहे हैं। राणा ने कहा कि “सरकार ने बेरोजगारों से विश्वासघात किया है जबकि अपने मित्रों के लिए सारे नियम-कायदे ताक पर रख दिए हैं।”
राजेंद्र राणा ने कहा कि सुक्खू सरकार का यह रवैया न केवल प्रशासनिक निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि प्रदेश में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की मानसिकता को भी उजागर करता है।









