मंडी (हिमाचल प्रदेश) के अभिलाषी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के बी.एससी. चौथे वर्ष के छात्रों ने डॉ. मनीष चौहान (सहायक प्रोफेसर, सब्जी विज्ञान ) के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक विधि से बुराँश (रहोडोडेंड्रॉन) के फूलों से चटनी और स्क्वैश तैयार किया है। इस अभिनव प्रयोग का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस औषधीय पौधे के लाभों को लोगों तक पहुँचाना और स्थानीय किसानों को नए व्यापारिक अवसर प्रदान करना है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच.के. चौधरी ने छात्रों से बातचीत की और उन्होंने इस अभिनव पहल की सराहना की और बुरांश के औषधीय और पोषण संबंधी फायदों के बारे में जानकारी दी। कुलपति महोदय ने बताया कि बुरांश के फूलों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन-सी और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, हृदय स्वास्थ्य सुधारने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। इस अमूल्य हर्ब का सरंक्षण हमारी प्राथमिकता होना अति आवश्यक है।
उन्होंने छात्रों को हिमालयी जैव विविधता के महत्व के बारे में बताया और स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों को व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे नवाचार न केवल स्थानीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देंगे, बल्कि किसानों और उद्यमियों के लिए भी नए आर्थिक अवसर पैदा करेंगे। कुलपति महोदय ने इसे नाक से रक्तस्राव (नकसीर) के उपचार में लाभदायक बताया । बुरांश के फूलों से तैयार किया गया स्क्वैश शरीर को ठंडक प्रदान करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है।
स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. पी.सी. शर्मा इस परियोजना में शामिल छात्रों ने भी छात्रों की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह नवाचार स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक अवसर पैदा कर सकता है।
इस उपलक्ष्य पर अभिलाषी विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ आर .के. अभिलाषी, प्रो चांसलर डॉ एल.के.अभिलाषी, वाइस चांसलर प्रोफेसर एच. के. चौधरी, रजिस्ट्रार डॉ कपिल कपूर, जीनीयस एजुकेशन सोसाइटी की चेयरपर्सन डॉ नर्वदा अभिलाषी, अभिलाषी एजुकेशन सोसाइटी की वाइस चेयरपर्सन डॉ प्रोमिला अभिलाषी, सचिव नरेंद्र कुमार ने विभाग के डीन, प्रोफेसरों व छात्रों को बधाई दी।