पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वास्थ्य विभाग में हुए कथित भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच की मांग की है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़झड़ाला निंदनीय है और इसने भाजपा की कथित ईमानदारी की पोल खोल दी है।
मुख्यमंत्री खुद इस महकमे को संभाल रहे हैं, ऐसे में इसकी संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। कोरोना संकट की घड़ी में रिश्वत लेने के आरोप में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि इसके तार सीधे भाजपा के बड़े नेताओं से जुड़े हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल के इस्तीफे को वीरभद्र सिंह ने भाजपा के अंदर चल रही अंर्तकलह से लोगों का ध्यान भटकाने का असफल प्रयास करार दिया और कहा कि 60 साल के अपने राजनीतिक कैरियर में उन्होंने कभी नहीं देखा कि कोई राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों से घिरा हो।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने आज शिमला में प्रेस वार्ता कर आडियो मामले की हाईकोर्ट के जज से जांच करवाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राजीव बिंदल के त्यागपत्र ने कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की सच्चाई पर मोहर लगा दी है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की विजीलेंस की जांच करवा रही है। यह मामला स्वास्थ्य विभाग का है तथा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास स्वास्थ्य व गृह दोनों ही विभाग है। इसलिए इस मामले में मुख्यमंत्री की भी जवाबदेही बनती है। साथ ही इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने त्यागपत्र दिया। ऐसे में अब विजीलेंस की जांच नाकाफी है। क्योंकि संदेह है कि विजीलेंस निष्पक्षता से कार्रवाई करे।