शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने खुलासा किया कि ये दोनों न केवल उनकी छवि धूमिल कर रहे हैं, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी कर रहे हैं। उन्होंने इन आरोपियों को स्थानीय पुलिस द्वारा संरक्षण दिए जाने का भी बड़ा आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि ये दोनों वेब पोर्टल संचालक न केवल उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं, बल्कि उन्हें लंबे समय से मानसिक रूप से प्रताड़ित भी कर रहे हैं।
प्रीति चौहान ने बताया कि इन दोनों कथित पत्रकारों के खिलाफ दिसंबर 2024 में उन्होंने पांवटा साहिब थाना में एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन प्रारंभिक जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा दर्ज एफआईआर की कॉपी थाना से लीक होकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिससे उनकी निजता और सुरक्षा दोनों को गहरा आघात पहुंचा है।
पीड़िता का आरोप है कि दोनों को सिरमौर पुलिस द्वारा हिस्ट्रीशीटर घोषित किए जाने के बावजूद हाल ही में उन्हें स्थानीय पुलिस के एक मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जो दर्शाता है कि कुछ पुलिस के लोग भी अब भी उन्हें संरक्षण दे रहे हैं।
प्रीति ने कहा कि ये दोनों कथित पत्रकार इलाके में पहले लोगों की वीडियो बनाते हैं और बाद में उन्हीं वीडियो की आड़ में ब्लैकमेलिंग करते हैं। उन्होंने दावा किया कि इन दोनों के स्थानीय नशा माफिया और माइनिंग माफिया से भी गहरे संबंध हैं और इनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामले विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज हैं। इनमें महिलाओं से जुड़े अपराध भी शामिल हैं।
महिला पत्रकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें इन दोनों से जान का खतरा है और यदि उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए ये दोनों आरोपी सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत प्रदेश पुलिस महानिदेशक से की है और कहा कि उन्हें इस बात की संतोष है कि डीजीपी ने उनकी शिकायत को गंभीरता से संज्ञान लिया है।
प्रीति चौहान ने यह भी कहा कि यदि जल्द इन कथित पत्रकारों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो वह राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करेंगी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर किन ताकतों के इशारे पर आरोपियों को खुलेआम संरक्षण मिल रहा है, जबकि उनके खिलाफ पहले ही मामले दर्ज हैं।
महिला पत्रकार ने कहा कि वह डर के माहौल में जी रही हैं और लगातार हो रहे मानसिक उत्पीड़न की वजह से उनका सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि पत्रकारिता की आड़ में हो रही ब्लैकमेलिंग और गुंडागर्दी पर लगाम लगाई जा सके।
उधर, पत्रकार ने महिला पत्रकार प्रीति चौहान के आरोपों को सिरे से नकारा है। उन्होंने कहा कि तमाम आरोप निराधार है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि प्रीति ने पुलिस में उनके खिलाफ जो शिकायत दर्ज करवाई थी, पुलिस जांच में तथ्य साबित नहीं हो पाए।