शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में उत्पाती बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है । हर रोज शिमला शहर में पांच से सात मामले बंदरो के काटने के आ रहे हैं। बीते दिन भी दो महिलाओ को शिमला के लिफ्ट के पास बंदरो ने बुरी तरह लहूलुहान कर दिया । ग़नीमयात यह रही की दोनों की जान नहीं गई ।
जानकारी के मुताबिक एक महिला मुंबई की रहने वाली है और शिमला घूमने आई थी जबकि दूसरी महिला पेशे से शिमला में पत्रकार है । मुंबई की रहने वाली महिला को बन्दर ने बाजु में कटा और उनका खून भी निकल गया वही दूसरी महिला को बन्दर ने पीछे से काटा गया । दोनों को IGMC में तुरंत इलाज महिवाया करवाया गया है ।
IGMC इमरजेंसी डॉक्टर ने कहा हर रोज़ 5 से 6 बंदरो के काटने पर उपचार के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें महिलाओं और स्कूली बच्चों की संख्या ज्यादा है।
कुछ महीने पूर्व मॉल रोड़ पर स्थित इवनिंग कॉलेज के पास बंदरों के हमले में निजी स्कूल का एक छात्र काफी ऊंचाई से गिर गया था व गंभीर रूप से घायल हुआ था। कैथू निवासी इस छात्र को कई दिन आईसीयू में रहना पड़ा व यह छात्र काफी दिनों तक आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती रहा। शिमला शहर में आने वाले हजारों पर्यटक बंदरों के हमले का शिकार होते हैं। बंदरों द्वारा जनता से समान छीनने की घटनाएं आम हो चुकी हैं।
नगर निगम प्रशासन का रवैया इस दिशा में बेहद लचर रहा है। नगर निगम की ओर से इस पर बीते वर्षों में कोई ठोस पहलकदमी नहीं हुई है। शिमला में बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के एक भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश ने भी दक्षिण भारत के शहर से बंदरों की सफाई के आधार पर शिमला में एक योजना की वकालत की थी जिसे नगर निगम शिमला ने कभी सिरे नहीं चढ़ाया।
नगर निगम शिमला को प्रदेश व केंद्र सरकार से बंदरों को वर्मिन घोषित करके उनकी वैज्ञानिक कलिंग का मुद्दा उठाना चाहिए। नगर निगम को जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके जनता को बताना चाहिए कि लोग बंदरों व कुत्तों को खाने की चीजें न दें व कोई फीडिंग एरिया न बनाएं। नागरिक सभा ने मांग की है कि बंदरों व कुत्तों के मुद्दे पर आगामी नगर निगम सदन में एक प्रस्ताव पारित करके कोई ठोस समाधान तलाशना चाहिए। नगर निगम को इस समस्या के समाधान के लिए एक समग्र योजना तैयार करनी चाहिए जिसमें तत्कालीन व दूरगामी दोनों तरह के समाधान शामिल हों।