*राजनीतिक विरोधियों को कुचलने की साजिश का आरोप*
हमीरपुर,19 मार्च: हिमाचल प्रदेश में अब राजनीति की जंग व्यक्तिगत खुन्नस तक पहुंच गई है। पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री कार्यालय और पुलिस प्रशासन पर सीधे तौर पर हमला बोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे और पत्नी के खिलाफ सिरमौर जिले के पचछाद में दर्ज की गई एफआईआर बदले की गंदी राजनीति का हिस्सा है। राणा का दावा है कि CM ऑफिस के सीधे दखल के बाद महज दो घंटे में यह एफआईआर दर्ज की गई, ताकि उन्हें और उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाकर दबाया जा सके।
*साझेदारी की आड़ में करोड़ों की ठगी, फिर FIR का खेल*
प्रेस वार्ता में सबूतों के साथ राजेंद्र राणा ने खुलासा किया कि 2020 में शिमला के मशोबरा निवासी अनिल चौहान ने उनसे संपर्क कर सिरमौर के पचछाद में एक क्रशर प्लांट में साझेदारी की पेशकश की थी। इस समझौते के तहत उनके बेटे और पत्नी का 25-25 प्रतिशत हिस्सा तय हुआ था।
राणा के मुताबिक, ढाई से तीन करोड़ रुपये की पूरी भुगतान करने के बावजूद अनिल चौहान क्रशर प्लांट शुरू करने के बजाय बहाने बना कर टाल मटोल करता रहा और पैसे अपनी जेब में डालता रहा। जब उससे या तो प्लांट लगाने या पैसे लौटाने को कहा गया, तो उसका रवैया ही बदल गया। राजेंद्र राणा ने कहा कि यह कोई दो नंबर का पैसा नहीं था बल्कि उनकी मेहनत की कमाई थी जो साझेदारी में क्रेशर लगाने के लिए अनिल चौहान को दी गई थी, और उसने इसे अपने परिवार के लिए इस्तेमाल कर लिया।
*जेसीबी का खेल—पहले चोरी फिर एफआईआर*
राणा ने बताया कि साझेदारी के तहत उनके बेटे ने एक जेसीबी मशीन खरीदी थी, ताकि काम में आसानी हो। लेकिन अनिल चौहान ने बिना इजाजत यह मशीन रोहडू के पास किसी को 6 महीने किराए पर दिए रखी और उससे मिलने वाला पैसा भी खुद डकार गया।
जब इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ, तो राणा के बेटे ने पचछाद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस के दखल के बाद यह जेसीबी उनके बेटे को वापस दिलाई गई, जो पूरी तरह कानूनी रूप से उनकी संपत्ति थी। हैरानी की बात यह है कि अब उसी पुलिस ने सीएम ऑफिस की दखल अंदाजी से उन्हीं के खिलाफ चोरी का मामला दर्ज कर दिया!
*पंजाब पुलिस ने तलब किया, हिमाचल में ‘ हीरो’ बना अनिल चौहान*
राणा ने बताया कि अनिल चौहान के खिलाफ पंजाब के मोहाली में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। दो महीने की जांच के बाद IPC की धारा 420 और 406 के तहत 12 मार्च को मुकदमा भी दर्ज हुआ और अनिल चौहान को तलब किया गया। लेकिन असल खेल तब शुरू हुआ जब अनिल चौहान ने हिमाचल में “अपने राजनीतिक आका” की शरण ली और मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव में पचछाद थाने में राणा के परिवार पर महज दो घंटे में एफआईआर दर्ज करवा दी।
*सत्ता के नशे में कानून को बना दिया खिलौना – राणा का हमला*
राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि सत्ता के नशे में सरकार ने कानून को अपने राजनीतिक हथियार में बदल दिया है। जिस पुलिस ने पहले उनके बेटे की शिकायत पर कार्रवाई की, वही पुलिस अब मुख्यमंत्री के इशारे पर उल्टा उन्हें ही अपराधी बनाने में जुटी है।
उन्होंने साफ कहा कि यह FIR उनकी आवाज दबाने की एक साजिश है क्योंकि वह लगातार सुक्खू सरकार की जनविरोधी नीतियों और वादाखिलाफी के खिलाफ मुखर रहे हैं।
*”दमन से डरने वाले नहीं, अदालत में करेंगे पलटवार”*
राणा ने साफ कर दिया कि वह किसी भी सरकारी तानाशाही से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले को पूरे तथ्यों और सबूतों के साथ अदालत में ले जाया जाएगा और झूठे मुकदमों की साजिश का पर्दाफाश किया जाएगा।
“मुख्यमंत्री को अगर लगता है कि एफआईआर दर्ज करवा कर वह हमें चुप कर देंगे, तो यह उनकी भूल है। जनता के हक की लड़ाई हम पूरी ताकत से लड़ेंगे, चाहे सरकार कितनी भी साजिशें कर ले।”