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crazynewsindia.com > Blog > Breaking News/Flash News > प्राकृतिक खेती करने वाले किसान नेक राम शर्मा को मिला पद्मश्री
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प्राकृतिक खेती करने वाले किसान नेक राम शर्मा को मिला पद्मश्री

crazynewsindia
Last updated: 2023/04/07 at 12:24 PM
crazynewsindia 2 months ago
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मंडी

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के नांज निवासी नेकराम शर्मा को पदमश्री पुरस्कार से नवाजा गया। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा नेकराम को यह सम्मान प्रदान किया गया। इस पुरस्कार को मिलने के बाद अब सतलुज नदी के तट पर बसे नांज गांव को अपनी धरती के लाल नेकराम शर्मा पर नाज महसूस हो रहा है। पहाड़ के साधारण किसान परिवार में जन्में नेकराम शर्मा का अपनी मिट्टी से जुड़ाव और कुछ अलग हटकर कर गुजरने का जुनुन की वजह से आज देश के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त कर चुका है।

हवाओं के रूख को देख मौसम का अनुमान लगाने और मिट्टी की तासीर को समझ कर परंपरागत मोटे अनाज …जो आधुनिक रासायनिकयुक्त खेती के इस दौर में लुप्त हो चुके थे। नेकराम शर्मा ने लुप्त हो रहे अनाजों का न केवल संरक्षण किया बल्कि दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया। नेकराम शर्मा की मेहनत और जुनून का ही प्रतिफल है कि आज बीस हजार से भी अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं। नेकराम शर्मा 1992 के वर्ष में देशव्यापी साक्षरता अभियान से जुड़े और इसी दौर में उनका जुड़ाव प्राकृतिक खेती से भी हुआ तो फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। यह अलग बात है कि नेकराम किसान नहीं बनना चाहते थे।

 

पहाड़ के पढ़े लिखे नौजवान की तरह वे भी सरकारी नौकरी करते हुए अपने गांव को छोडक़र चले जाना चाहते थे । मगर उनकी किस्मत में तो किसान बनना ही लिखा था…नौकरी केलिए कई सक्षात्कार दिए कभी चयनित हुए तो भर्तियां रद हो गई…और कभी इंटरव्यू में फेल हो गए। साक्षरता अभियान में जुडऩ़े के बाद उन्हें साक्षरता के मूल मंत्र -अपनी बदहाली के कारणों को जानना और उससे मुक्ति की दिशा में प्रयास करना , इस बारे जब वे गांव-गांव जाकर लोगों को समझाने लगे तो उनके अपने भीतर भी बदलाव आने लगा।

 

सबसे पहले नेकराम ने अपने गांव के जंगल में घास उगाकर पशुपालन को बढ़ावा दिया तो खेतों में प्राकृतिक खेती की ओर भी उनका रूझान हुआ । इसके पीछे सबसे अहम कारण यह रहा कि रासायनिक खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले अनाज से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडऩे लगा । नेकराम शर्मा ने बीस साल पहले छह बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती की शुरूआत की और दिन-रात उसी में जुट गए कई प्रयोग इसमें करने लगे ।

नेकराम शर्मा ने डा. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डा. जेपी उपाध्याय से प्राकृतिक खेती के टिप्स लिए तो वहीं बंगलुरू स्थित कृषि विज्ञान विवि धारवाड़ से प्राकृतिक खेती की जानकारी हासिल की । इसके बाद अपने इस संचित अनुभव का उपयोग उनहोंने पहाड़ की परंपरागत खेती और यहां उगाए जाने वाले पारंपरिक नौ मोटे अनाजों की परंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने की दिशा में जुट गए । यह सब इतना आसान नहीं था । देश व प्रदेश से पांरपरिक अनाज जैसे कांगणी, कोदरा, सोंक ज्वार के अलावा मोटा अनाज देसी मक्की, जौ, दालों में कोलथी के संरक्षण में यह किसान जुट गया ।

 

नेकराम शर्मा कहते हैं कि ये अनाज ने केवल खाने में पौष्टिक होते हैं…बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद हैं । वे कहते हैं इन अनाजों को खाकर हमारे बुजूर्ग स्वस्थ रहते थे। नेकराम प्राकृतिक खेती में लीन होकर पारंपरिक अन्न, सब्जी उत्पादन, एक ही स्थान पर एक साथ नौ तरह की मिश्रित खेती के साथ अंगोरा पालन, सहकारिता, पारंपरिक पुराने अन्न संरक्षण के रहस्यों को उजागर करने में जुट गए। नेक राम शर्मा ने लगभग 40 तरह के विलुप्त हो रहे पुराने पारंपरिक अनाजों का संग्रह कर एक बैंक बनाया है।

 

इन अनाजों को वे प्रदेेश व देश के छह राज्यों के दस हजार के किसानों को मुफ्त बांट चुके हैं तथा उत्पादन होने के बाद अनाज किसानों से प्राप्त कर अपने अनाज के बैंक को मजबूती भी प्रदान कर रहे हैं। फूलगोभी, टमाटर, अदरक, कचालू, मास, कुलथ, परमल, चाइना चावल, परमल चावल व लाल चावल की फसल के लिए मशहूर नांज गांव में पर्यावरण ग्राम विकास संगठन के नेकराम लोक विज्ञान केंद्र से जुडक़र जैविक खेती करने लगे हैं। समाजसेवी व साहित्यकार डा. जगदीश शर्मा का कहना है कि उद्यमी किसान व समाजसेवी नेकराम शर्मा का अंगोरा फार्म और खड्डियों पर बुनी शालें, मफलर, कोट-जैकेट की पट्टियां दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं।

 

पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में सक्रिय नेकराम ने स्थानीय महिला मंडलों व युवाओं के सहयोग से पोगधार और ममली जंगल की लगभग 350 हेक्टेयर भूमि को हराभरा करने में 1982 से अलख जगाने का प्रयास किया है। ग्रामीण द्वोत्र में रचनात्मक कार्यों के लिए नेकराम को 2012 में खंड प्रशासन द्वारा गेस्ट ऑफ ऑनर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन भारत सरकार के संयुक्त निदेशक डाक्टर वेंकट शेषैया भी 1993 में नेकराम की समाजोन्मुख रचनात्मक गतिविधियों से प्रभावित होकर नांज पहुंचे थे। अब देश के प्रतिष्ठित सम्मान पदमश्री से नेकराम शर्मा को नवाजा जाना हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला और उनकी जन्मभूमि नांज के लिए भी गौरव की बात है।

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TAGGED: ##mandihimachalpradesh, #DraupdiMurmu, #nekramsharma, #padmshri, Himachal news, President
crazynewsindia April 7, 2023
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