चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट प्रारूप तैयारी में लापरवाही पर की कार्रवाई
शिमला। हिमाचल प्रदेश में आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों से पहले प्रशासनिक तंत्र में सुस्ती अब अधिकारियों पर भारी पड़ने लगी है। पंचायत चुनावों के कार्यों में लेटलतीफी करना कुछ अधिकारियों को महंगा पड़ गया है। राज्य चुनाव आयोग ने 9 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। वहीं दो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन दो अधिकारियों पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने 9 अधिकारी किए सस्पेंड
दरअसल राज्य चुनाव आयोग ने यह बड़ी कार्रवाई वोटर लिस्ट का प्रारूप समय पर तैयार ना करने और चुनाव आयोग के निर्देशों की अनदेखी करने पर की है। राज्य चुनाव आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए 9 अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जबकि दो बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आयोग ने इन सभी से विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनावों की तैयारियों में किसी भी प्रकार की सुस्ती या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें 2 सब पंचायत इंस्पेक्टर और 7 पंचायत सचिव शामिल हैं। इनका मुख्यालय अब अस्थायी रूप से संबंधित जिला पंचायत कार्यालय में निर्धारित किया गया है।
वहीं, HAS अधिकारी एवं बीडीओ भरमौर अभिषेक मित्तल और बीडीओ निहरी मनमोहन शर्मा को आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। सूत्रों के अनुसार यदि इनका जवाब संतोषजनक नहीं रहा, तो अगली कार्रवाई में सस्पेंशन या चार्जशीट का रास्ता भी खुल सकता है।
आयोग ने करीब एक माह पहले सभी जिलों को निर्देश जारी किए थे कि 20 से 26 सितंबर के बीच आयोजित ग्राम सभाओं में वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल को सार्वजनिक रूप से रखा जाए। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण अपने नाम, वार्ड, या मतदाता सूची में किसी त्रुटि की जांच कर सकें। लेकिन कई ब्लॉकों में ड्राफ्ट रोल तैयार ही नहीं किया गया और बिना प्रारूप दिखाए ग्रामसभाएं संपन्न कर दी गईं। यही लापरवाही अब संबंधित अधिकारियों के लिए महंगी साबित हो रही है।
स्टेट इलेक्शन कमिश्नर अनिल खाची ने कहा कि आयोग मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं। यदि वोटर लिस्ट जैसी बुनियादी प्रक्रिया में ही लापरवाही होगी, तो पूरी चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। जिन अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों की अनदेखी की है, उन्हें जवाब देना ही होगा।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 3577 पंचायतें, 7 नगर निगम, 29 नगर परिषद और 37 नगर पंचायतें हैं। इन सभी पंचायतों में दिसंबर माह में चुनाव प्रस्तावित हैं। जिसकी तैयारी राज्य निर्वाचन आयोग ने शुरू कर दी है। स्टेट इलेक्शन कमीशन पहले ही ग्रामसभा स्तर पर वोटर लिस्ट की समीक्षा, एडिशन.डिलीशन और ड्राफ्ट पब्लिशिंग की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। हालांकि कुछ जिलों में धीमी गति से काम होने की रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग अब लगातार निगरानी और फील्ड रिपोर्टिंग पर जोर दे रहा है।









