हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहुल तथा पांगी के गरीब किसानों को उनके घरों तक अटल सुरंग से सुरक्षित और सुगम तरीके से जाने की मांग की है।
पत्रकार श्याम आज़ाद ने आज प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि सर्दियों में इन क्षेत्रों से लोग बच्चों की पढ़ाई,अपना इलाज तथा अन्य जरूरी कार्यो से कुल्लू मनाली आ जाते हैं जिन्हें अब वापिस घरों की तरफ जाना है और रोहतांग दर्रा बन्द होने के कारण अत्यंत संकट उतपन्न हुआ है।
उन्होने कहा वैश्विक महामारी के संकट के साथ साथ हमारा राष्ट्र भी इस भयंकर कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है, उन सभी योद्धाओं को जो प्रथम पंक्ति पर डट कर इस महामारी से लड़ रहे हैं। उन्होने प्रधान मंत्री कों धन्यवाद देते कहा है कि आपने राष्ट्र के नाम जो भी सन्देश दिए है,हम अक्षरशः पालन कर रहे हैं तथा रामायण और महाभारत जैसे महान गौरव शाली धारवायक देख कर अपने आप को निहाल कर रहे हैं।जिसमें एक बात पर साफ साफ जोर देकर कहा जा रहा है कि अगर प्रजा संकट में हो तो निसंकोच अपने राजा को बोल सकते हैं क्योंकि कई बार राजा के मंत्री सन्त्री भी वह काम नही कर सकते जो एक आम नागरिक के कहने पर राजा कर देता है।
उन्होने लिखा है कि में भी हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पिति के ठोलँग गांव का निवासी हूँ।मैं बहुत ही विश्वस्त हो कर आप को पाती लिख रहा हूँ।मुझे पूर्ण उम्मीद है कि आप त्वरित कार्यवाही अमल में ला कर हमारे जनजातीय लोगों की मदद करोगे।
लाहुल पूरे दुनिया से सर्दियों के दौरान सड़क मार्ग से करीब छः माह के लिए कट जाता है,ऐसे में आपातकालीन स्थिति में राज्य सरकार का हेलीकॉप्टर ही जीवन रेखा सिद्ध होती है।इसके इलावा कोई और साधन नही होता है। कोरोना संक्रमण के कारण देश मे तो लॉक डाउन मात्र 24 मार्च से लगा है,परन्तु हमारे लाहुल के लिए कुदरत आदिकाल से ही पांच छः महीनों के लिए लॉक डाउन लगा देता है।इस मौसम की बेरुखी के कारण भी नियमित हेलीकॉप्टर उड़ाने न होने के कारण करीब आठ स बागवानी से जुड़े हैं जिन्हें अपने घर पहुंच कर खेतीबाड़ी करनी कर वर्ष भर का जीविकोपार्जन करने वाले यहां के किसानों की चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
उन्होने कहा है कि इस दर्रे के नीचे से सुरंग बन रही है जो अब लगभग अंतिम चरणों मे है और उम्मीद भी है इस वर्ष के अंत तक आप इस सुरंग को राष्ट्र को समर्पित कर दोगे।महोदय इस सुरंग से वर्ष 2018 में अचानक बेमौसमी बर्फबारी में सितम्बर महीने में देश दुनिया के हजारों लोग लाहुल स्पिति,लेह तथा पांगी में फंस गए थे,तब यह सुरंग जीवनदायिनी बनी थी।वर्ष 2019 में पुनः सितंबर महीने में एक बार फिर हिमपात हुआ तब भी इसी सुरंग का सहारा मिला।यही नही वर्ष 2019 में लोकसभा चुनावों में भी रोहतांग तो मतदान के दिन 19 मई को खुला मगर जितनी भी सामग्री और चुनाव सम्बन्धी कार्य इस सुरंग से पूर्ण हुए।